यदि आध्यात्म भीतरी साधन है, तो धर्म बाहरी साधन है। आध्यात्म और धर्म एक ही साईकल के दो पहिये की तरह हैं, यदि एक भी खराब होगा तो दूसरे पर प्रभाव पड़े बिना नहीं रह सकता। धर्म और आध्यात्म दोनो ही मनुष्य जीवन के जरूरी भाग है जिनके बिना मनुष्य अपने चरम लक्ष्य को प्राप्त नही कर सकता।