पश्चिम राजस्थान बना मुआवजा स्थान, आपसी झगड़े को जातिगत प्रकरण देकर मुआवजा के बंदरबांट

पश्चिम राजस्थान बना मुआवजा स्थान
राजनेताओं की शह पर आपसी झगड़े को जातिगत प्रकरण देकर मुआवजा के बंदरबांट के संबंध में

पिछले कुछ वर्षों से एट्रोसिटी एक्ट में मिलने वाली राशि जो कुछ करोड़ थी पिछले 5 वर्षों में वह सैकड़ों करोड़ से ऊपर जा चुकी‌ है इसमें कोई अप्रत्याशित वृद्धि यह साबित करती है दुरुपयोग हो रहा है।

जितेंद्र मेघवाल प्रकरण

आज से कुछ वर्ष पहले राजस्थान के पाली जिले में दलित युवक जितेंद्र मेघवाल की हत्या हुई हत्यारे राजपुरोहित ब्राह्मण समाज से थे और व्यापारी थे उसकी जांच हुई तो पता चला जितेंद्र मेघवाल एससी एसटी के फर्जी मुकदमे लगाता ताकि सरकार से मिलने वाली राशि और सामने वाली से समझौता के तौर पर मिलने वाली राशि हड़प की जा सके बेकसूर लोगों को जेल भेजता था और पीछे से उगाही करता था मृतक जितेंद्र मेघवाल कहते का नया देवल युवकों के पिता को गांव की पंचायत की मौजूदगी में अपने पैरों को चटवाया उनको अपना थूक चटवाया और फिर इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जिन पर हत्या का आरोप लगा युवा बेगुनाह होने के बावजूद जितेंद्र मेघवाल के दर्ज कराए हुए कितने मुकदमों में जेल जा चुके थे उनके पूरे घर को जितेंद्र मेघवाल ने फर्जी मुकदमे बर्बाद कर दिया परिणाम स्वरूप आखिर जो पीड़ित थे उन्होंने उसकी हत्या कर दी हमारे तथाकथित राजनेताओं ने वोट बैंक की राजनीति के चलते इसे मूछ रखने का प्रकरण बना कर पेश किया असली बात छुपा ली राजस्थान के मुख्यमंत्री ने भी कहा और पुलिस विभाग की जांच में सामने आया यह बात फर्जी मुकदमे की थी मूछ रखने जैसी कोई बात नहीं थी।

जालौर जिले के इंद्र मेघवाल मृत्यु प्रकरण में

इंदर मेघवाल नाम का बच्चा प्राइवेट स्कूल में पढ़ता था और कान की बीमारी से पीड़ित था कई वर्षों से उसका इलाज चल रहा था स्कूल में इंद्र मेघवाल और एक बच्चे की आपसी लड़ाई हुई स्कूल में पढ़ाने वाले एक टीचर ने दोनों बच्चों के एक एक थप्पड़ मार दिया स्कूल के टीचर को यह जानकारी नहीं थी कि है उसके एक कान बीमारी से पीड़ित था और थप्पड़ जिस कान पर मारा गया मुस्कान में कोई बीमारी नहीं थी घटना के कुछ दिन बाद इंद्र मेघवाल की तबीयत खराब हो जाती है तो इंद्र मेघवाल के पिता के द्वारा टीचर खेल सिंह से बच्चे को मारने की बात कही जाती है पेट्रोल सिटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराने की बात कही जाती है इसके बारे में बैठक बुलाई जाती है सभी समाज के लोगों की बैठक में यह तय होता है बच्चे की बीमारी का संपूर्ण खर्च छैल सिंह जो कि टीचर था वह देगा शैल सिंह सबसे पहले ₹200000 का भुगतान कर देता है बच्चे की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई है उसे अहमदाबाद रेफर कर दिया जाता है इंदर मेघवाल का पिता 500000 की डिमांड करता है प्राइवेट स्कूल का टीचर अपने हाथ खड़े कर देता है ₹500000 की नहीं अचानक इंदर मेघवाल की मृत्यु हो जाती है राजनेताओं के कहने से इंदर मेघवाल कविता आरोपी टीचर छैल सिंह से 1000000 रुपए की राशि की मांग करता है नहीं तो फर्जी एट्रोसिटी लगाने की धमकी देता है शैल सिंह और उसके परिवार के द्वारा दोबारा मना किए जाने के बाद में षड्यंत्र कर्ताओं द्वारा यह नाटक की शुरुआत होती है इसे मटकी से पानी पीने का मामला बनाकर तूल दिया जाता है
इंदर मेघवाल का पिता फर्जी एट्रोसिटी मुकदमे लगाए जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री ने इसकी एडीजी रैंक के अधिकारी से जांच करवाई विभाग की जांच में साफ हो चुका कोई मटकी का मामला नहीं था मुख्यमंत्री ने खुद ने बोला कोई मटकी नहीं थी मुआवजा लेने के लिए नाटक रचा गया अखिल राजस्थान सरकार ने 2500000 रुपए दिए
2500000 रुपए मिलते हैं जो तथाकथित नेता इस पूरे षडयंत्र में शामिल थे उनको मुआवजा की राशि में बंदरबांट नहीं मिलने के कारण इंदर मेघवाल के पिता और तथाकथित कार्यकर्ताओं के बीच का ऑडियो सोशल मीडिया पर आज भी वायरल है जिसमें तथाकथित प्रकरण को बढ़ा चढ़ा कर पेश करने वाले और इंदर मेघवाल के पिता के बीच का वार्तालाप है कि आप पूरे 2500000 रुपए अकेले रख लिए इसके बाद अगर मेघवाल की पिता अंडर ग्राउंड हो गए।

कोजाराम हत्या मामला

तथाकथित दलित नेता उदाराम पूरे इलाके में पिछले 30 वर्षों से गांव के भोले भाले लोगों को फंसा कर आपस में फर्जी एट्रोसिटी में करवाता है उसकी राशि बंदरबांट करता है और कथित आरोपियों से वसूली करता है ठीक ऐसा ही कोजाराम मामले में हुआ कोजाराम सीधा साधा आदमी था उनके घर के सामने गुलाब सिंह सोडा नाम का होमगार्ड में नौकरी करने वाला एक व्यक्ति रहता है दोनों के बगल में सरकारी भूमि का एक टुकड़ा था उस टुकड़े पर उदाराम नाम का तथाकथित दलित नेता कब्जा करना चाहता था इसके लिए उसने कोजाराम का सहारा लिया सरकारी भूमि के टुकड़े पर कब्जा करने की नियत से दोनों में झगड़ा हुआ दूसरे पशु गुलाब सिंह को दबाने के लिए उदाराम ने कोजाराम के मार्फत एट्रोसिटी एक्ट का मुकदमा दर्ज करवा दिया यह विवाद 6 से 7 वर्ष तक चला उदाराम ने कोजाराम और उसकी पत्नी के नाम से 10 से 12 मुकदमे एट्रोसिटी एक्ट में दर्ज करवा दी है जिसमें पीड़ित परिवार गुलाब सिंह के नाबालिक बच्चे उनके घर की महिलाएं तक इसमें शामिल थे और वह महिलाएं जिनके छोटे-छोटे बच्चे थे उनको तक कितने वर्ष तक अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ जेल में रहना पड़ा जिनका इस मामले से कोई दूर-दूर तक लेना-देना नहीं था मामला घर के सदस्य गुलाब सिंह और कोजाराम के बीच था परंतु इस मामले में कोजाराम की पत्नी के द्वारा भी पीड़ित गुलाब सिंह की परिवार की महिलाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाएंगे सारे मुकदमे एट्रोसिटी एक्ट के थे। गुलाब सिंह का परिवार से बाद में मुकदमे वापस लेने के तौर पर उगाही हुई।गुलाब सिंह के पूरे परिवार को उदाराम ने कोजाराम के द्वारा बर्बाद कर दिया। गुलाब सिंह के परिवार का एक भी छोटे से बड़े सदस्य जो लकवा ग्रस्त भी थे जो बिस्तर में ही रहते थे उन पर तक कोजाराम ने एट्रोसिटी एक्ट के मुकदमे दर्ज करवाएं। मृतक कोजाराम इस मामले में पिछले छह वर्ष से तथाकथित दलित नेता उदाराम के संपर्क में था।

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